Tuesday, March 19, 2024
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सदन द्वारा पारित कृषि कानून का मूल्यांकन

दिनांक 27 सितम्बर, 2021 को तत्कालीन भारत सरकार ने तीन कृषि बिलों को मंजूरी देते हुए तीन कृषि कानून् सूत्रपात किये थे।
वे है:
1. किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 ( क्रमांक 21/ 2020)
2. किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) विधेयक मूल्य आश्वासन, 2020 (क्रमांक 20/2020)
3. सेवा विधेयक और आवश्यक वस्तुएं (संशोधन) विधेयक, 2020 (क्रमांक 22/2020)

इन तीनों कृषि कानूनों को लेकर भारत के अलग- अलग राज्यों में अनेक स्थानों पर विवाद एवं हिंसा देखने को मिली। सैकड़ों लोग जख्मी हुए और कुछ लोगों ने अपनी जान भी गवा दी। कई आन्दोलन व आन्दोलनकारी भी हुए, तथा कई गिरफ्तारी भी हुई। इन तीनों कृषि कानूनों को मद्देनजर रखते हुए यह कहा जा सकता है, कि देश में अराजकता एवं अव्यवस्था देखने को मिली।

संक्षेप विवरण:

1. कानून क्रमांक- 21/2020 (प्रमुख बिन्दु):
i. किसान अपनी उपज को, किसी को और कहीं भी बेचने के लिए स्वतंन्त्र है।
ii. कृषि उपज में राज्यों एवं अन्तर-राज्य व्यापार के लिए सभी बाधाओं को हटा दिया गया है।
iii. यह कानून निर्बाध इलेक्ट्रॉनिक व्यापार का समर्थन करता है।

2. कानून क्रमांक- 20/2020 (प्रमुख बिन्दु):
i. यह कानुन अनुबन्ध-खेती (कान्ट्रैक्ट फार्मिंग) से सम्बन्धित है।
ii. यह कानून किसानों को बड़े खरीदार, निर्यातकों एवं छोटे विक्रेताओं के साथ गठजोड़ सम्बन्ध सजा करने की अनुमति देता है।

3. कानून क्रमांक- 22/2020 (प्रमुख बिन्दु):
i. यह कानून अनाज, दालें, खाद्य, तेल, प्याज, एवं आलू को आवश्यक वस्तुओं की सुचि से हटा देता है।
ii. यह कानून असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर भण्डार सीमा लगाने से दूर करता है।

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कृषि कानून के नफा नुकसान:

1. कानून क्रमांक-21/2020:
नफा:
i. कृषक और व्यापारी राज्यों की एoपीoएम०सी0 के तहत सूचीबद्ध खरीदने व बेचने का अवसर प्राप्त होगा।
ii. यह कानून बाधा-मुक्त अतर-राज्य एवं राज्यान्तरिक कृषि व्यापार को बढ़ावा देता है।
iii. यह कानून बेहतर लागत के साथ कृषकों एवं किसानों को बढ़ावा देता है, और उनकी सहायता करता है।
iv. यह कानून इलेक्ट्रॉनिक व्यापार करने हेतु सुविधाजनक एवं अनुकूल वातावरण प्रदान करता है।

नुकसान:
i. यदि किसान अपने उत्पादों को नामांकित एoपी०एम०सी0 बाजारों के बाहर बेचते हैं, तब राज्यों की आय कम हो जायेगी, क्योंकि उनके पास मंडी शुल्क वसुलने का विकल्प नुहीं रह जायेगा।
ii. यह कानून ए0पीoएम0सी0 आधारित अधिग्रहण के ढांचे को समाप्त कर सकता है।

2. कानून क्रमांक-20/2020
नफा:
i. यह कानून थोक विक्रेता एवं निर्यात को या बड़े पैमाने पर खूदरा विक्रेताओ के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करता है, जो कि पूर्व अनुमानित लागत पर भविष्य की उपज का उत्पादन करने के लिए उपलब्ध होगा।
ii. यह कानून पाँच हेक्टेयर के नीचे भूमि के साथ सीमान्त और छोटे किसान को समझौते के माध्यम से प्राप्त होगा।
iii. यह कानून किसानो को वर्तमान तकनीक और बेहतर ज्ञान र्त्रोतो के लिए सशक्त बनायेगा।

नुकसान:
i. कृषि योजनाओं में खेती करने वाले किसान अपनी जरूरत के हिसाब से अपनी क्षमता को लेकर अधिक नाजुक हिस्से में होंगे।
ii. बड़े-निजी व्यवसायों, निर्यातकों, थोक विक्रेताओं एव आयातकों में सरक्षण के सवालो की बढ़त होगी।

3. कानून क्रमांक 22/2020:
नफा:
i. दालें, तेल, आलू, आदि खाद्य सामग्रियों की आवश्यकता वस्तु की सुचि से हटा कर यह कानून युद्ध जैसी अभुतपूर्व परिस्थितियों के अलावा ऐसी वस्तुओं पर भण्डार सीमा की असुविधा से छुटकारा दिलाएगा।
ii. यह कानून मूल्य की सुरक्षा प्रदान कर के किसानों एवं खरीदारों दोनों के लिए लाभदायक साबित होगा।

नुकसान:
i. “असामान्य परिस्थितियों” के लिए लागत सीमाए इस पक्ष पर अधिक हैं, कि वे शायद ही कभी निर्धारित हो पायेगें।

नये कृषि कानून की वैद्यता एव संवैधानिकता:

कृषि कानून को लेकर आम नागरिकों के बीच काफी बहस तथा विवाद देखा जा सकता है। कुछ लोगों के अनुसार कृषि कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकार के पास होता है, और कुछ लोग कह रहे है कि यह केन्द्र सरकार के पास होता है। इस सवाल का उत्तर हमारे भारत के संविधान से मिलेगा।

भारत के संविधान के सातवीं अनुसूची में अनुच्छेद 246 के अन्दर तीन सूचियाँ शामिल हैं:
i. संघ सूची- अधिकार प्राप्त- केन्द्र सरकार
ii. राज्य सूची- अधिकार प्राप्त- राज्य सरकार
iii. समवर्ती सूची- यह सूची केन्द्र एवं राज्य दोनों को 52 विषयों पर कानून बनाने का अधिकार देती है, लेकिन, यदि इस सूची के किसी विषय पर केन्द्र तथा राज्य सरकार द्वारा निर्मित कानून के बीच सघर्ष उत्पन्न होता है, तो केन्द्र सरकार द्वारा निर्मित कानून लागू होगा।

व्यापार विषय संघ सूची की 42वीं प्रविष्टि के अन्तर्गत आता है। इस तथ्य के बावजूद की राज्यांतरिक व्यापार राज्य सूची के 26वें विषय के अन्तर्गत आता है, यह कृषि कानून मुद्दा संविधान की समवर्ती सूची के 33वें विषय के अन्तर्गत आता है, और उसी पर निर्भर है। अत: केन्द्र सरकार पूरी तरह से सुसज्जित है, एवं यह नया कुृषि कानून बनाने व लागू करने की कानूनी हकदार है और इससे किसी भी राज्य के किसी भी अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ है।

वर्तमान स्थिति:

i. सर्वोच्च न्यायालय ने किसानों की हिंसा को मद्देनजर रखते हुए तीनों कृषि कानूनो के निष्पादन को कानूनी तौर पर अस्थायी रूप से स्थतिग कर दिया है।
ii. सर्वोच्च न्यायालय ने किसान हिंसा से मुक्त होकर काम करने हेतु विशेषज्ञो का एक दल बनाकर 2 माह में निष्कर्ष देने के लिए आदेश जारी किया है।

Author: Youkteshwari Prasad

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