वसीयत एक कानूनी दस्तावेज होता है जिसमें संपत्ति के मालिक के मृत्यु के बाद उनके कारोबार और संपत्ति को उसके वारिसों में बांटी जाती है। संपत्ति रखने वाला व्यक्ति अपने life में कभी भी वसीयत में changes कर सकता है।
minor व्यक्ति जिनकी मानसिक स्थिति ठीक हो वसीयत बना सकता है।
वसीयत कैसे बनाते हैं?
अपने मृत्यु से पहले कोई भी मनुष्य अपनी वसीयत या तो बनाता है या नहीं बनाता है। और यह जरूरी नहीं कि हर कोई मरने से पहले अपनी वसीयत को बनाए। अगर किसी ने अपनी वसीयत बनाई है तो उसके property का बंटवारा वसीयत के हिसाब से होता है अर्थात उसकी इच्छा के अनुसार होता है और जैसा उसने वसीयत किया होता है उतना हिस्सा प्राप्त होता है। यदि कोई व्यक्ति ने वसीयत नहीं किया है और वह हिंदू पुरुष अथवा महिला है तो उसके संपत्ति का विभाजन Hindu Succession Act 2005 के तहत विभाजित किया जाएगा। अलग-अलग धर्मो में संपत्ति के बंटवारे का अलग-अलग कानून बनाया गया है। ज्यादा बेहतर यही होता है कि व्यक्ति को अपनी संपत्ति का वसीयत बना देना चाहिए। इससे स्थिति बेहतर रहती है और property वसीयतदाता के इच्छानुसार विभाजित होती है।
वसीयत बनाने के नियम
Indian succession Act 2(b) वसीयत पर बात करता है। जो will को define करता है। वसीयत बनाने वाला व्यक्ति यह बताता है कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का बंटवारा कैसे होगा तथा उनका वारिस कौन होगा।
किन-किन चीजों की वसीयत हो सकती है-
व्यक्ति खुद की कमाई संपत्ति, जिसमें घर, खेत, मकान, दुकान, घरेलू सामान, गहने, फर्निचर, बैंक में जमा राशि, share पूर्वजों से मिली संपत्ति जैसी सभी चीजों की वसीयत कर सकता है।
मुस्लिम धर्म के अलावा हर भारतीय पर भारतीय उत्तराधिकारी अधिनियम 1925 होता है।
वसीयत करने का तरीका
यह सादे कागज पर भी लिखा जा सकता है। अपने हाथ से लिखी वसीयत ज्यादा बेहतर रहती है। लेकिन समझने की दृष्टि से आप इसे टाइप भी करवा सकते हैं। इस दौरान जायदाद जिसके नाम कर रहे हैं, उसके बारे में साफ तौर से लिखें। उसका नाम, पिता का नाम, पता और उसके साथ अपना रिश्ता भी लिखें। ये किसी भी language में लिखी जा सकती है। इसमें कई बार changes भी किये जा सकते है।
वसीयत कौन बना सकता है
वह व्यक्ति जो मानसिक रूप से बिलकुल ठीक है, अपने विवेकाधिकार में वसीयत कर सकता है। वसीयत बनाने के लिए कोई stamp paper की आवश्यकता नहीं होती, यह सादे कागज पर भी लिखा जाता है। ऐसा कोई जरूरी नहीं कि वसीयत सिर्फ legal adviser या वकील से बनवाई जाए, व्यक्ति अपने समझ से भी लिख सकता है। ऐसा व्यक्ति जो बीमारी से पीड़ित है लेकिन उसकी दिमागी हालत बिल्कुल सही है, ऐसा व्यक्ति वसीयत कर सकता है। कोई भी शादीशुदा महिला जिसकी खुद की अर्जित की हुई property है वह भी वसीयत कर सकती है।
वसीयत बनाते समय ध्यान देने योग्य बातें
यदि आप नहीं वसीयत बना रहे हो तो उसमें यह दर्ज करें कि आपके द्वारा बनाई गई पुरानी वसीयत को आप रद्द कर रहे हैं। बनाई गई वसीयत को रजिस्टर्ड कराना आवश्यक नहीं होता परंतु मृत्यु के बाद वसीयत में कोई गड़बड़ी ना हो इसके लिए वसीयत registered कराई जा सकती है। गवाहों के साथ सबरजिस्ट्रार के ऑफिस वसीयत को रजिस्टर्ड करवाया जा सकता है। वसीयत करने के बाद उसमें हस्ताक्षर, अंगूठे का निशान तथा दो गवाहों के हस्ताक्षर करने होंगे। पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि जिन लोगों को आप वसीयत कर रहे हैं वह गवाह नहीं बन सकते। वसीयत करने वाले पहले यदि वसीयत पाने वाले की मृत्यु हो जाती है तो वसीयत दुबारा बनानी होती है।
किस-किस चीज की कर सकतें हैं वसीयत
आप अपनी चल संपत्ति, जैसे cash, घरेलू सामान, बैंक में जमा राशि, पीएफ, शेयर्स, किसी कंपनी की हिस्सेदारी आदि की वसीयत कर सकते हैं। साथ ही खुद की कमाई हुई अचल संपत्ति, जैसे जमीन, मकान, दुकान, खेत आदि की भी वसीयत कर सकते हैं। वहीं जो संपति आपके नाम है, उसी की ही वसीयत की जा सकती है, अनेक मालिक वाले सम्पति का वसीयत नहीं हो सकता।
गवाह की मौत होने पर क्या करें
अगर वसीयत करने वाले से पहले किसी गवाह की मौत हो जाए तो वसीयत दोबारा बनवानी चाहिए। दोबारा वसीयत बनवाते समय पहली वसीयत को कैंसल करने का जिक्र जरूर करें। वहीं अगर वसीयत खो जाए तो भी दोबारा वसीयत करवाएं और बेहतर है कि उसमें थोड़ा फेरबदल करें, ताकि पहली वसीयत कैंसल मान ली जाए।
वसीयत किसी भी language में किया जा सकता है
वसीयत में यह निश्चित ही दर्ज होनी चाहिए कि यदि नई वस्तु खरीदते हैं तो उस वस्तु की बंटवारा किस प्रकार होगी।
अगर कभी आप की वसीयत को कोर्ट में challenge किया जाता है और यह पाया जाता है कि वसीयत किसी दबाव अथवा डर के कारण बनाई गई है तो वसीयत खारिज हो जाती है। वसीयत में यह लिखा होना आवश्यक होता है की वसीयत बनाने वाला व्यक्ति स्वस्थ है तथा वह इसे अपने ज्ञान व मर्जी से बनवा रहा है।
यह भी जानें: