Guarantee Warranty को कुछ लोग पर्यायवाची के रूप में जानते हैं लेकिन ऐसा नहीं है और ये दोनों शब्द एक दूसरे से बहुत अलग अलग हैं। इस दोनों के बारे में एक बात कॉमन यह है कि ग्राहक को गारंटी/वारंटी का लाभ लेने के लिए पक्के बिल या गारंटी/वारंटी कार्ड रखना आवश्यक होता है। गारंटी/वारंटी कार्ड होने के बावजूद यदि कोई दुकानदार सामान को बदलने या रिपेयर करवाने से मना करता है तो ग्राहक उपभोक्ता अदालत में वाद दायर कर सकता है।
गारंटी (Guarantee)
गारंटी के तहत यदी कोई उत्पाद तय समय के अन्दर खराब हो जाती है तो दूकानदार अथवा कम्पनी उस खराब उत्पाद के बदले नय उत्पाद देने के लिए बाध्य होता है। अतः पुराने ख़राब उत्पाद के बदले में नया उत्पाद देने को ही गारंटी कहा जाता है।
वारंटी (Warranty)
विक्रेता की ओर से ग्राहक को दी जाने वाली एक विशेष छूट जिसमें किसी उत्पाद के खराब होने की दशा में दुकानदार/कम्पनी द्वारा उस उत्पाद को ठीक कराकर दिया जाता है, इसे वारंटी कहते हैं। अर्थात यदि किसी उत्पाद पर वारंटी दी गई है तो आप उस उत्पाद के खराब होने पर निर्धारित अवधि तक दूकानदार अथवा कम्पनी द्वारा निशुल्क ठीक करा सकते हैं।
गारंटी/वारंटी हासिल करने की नियम व शर्तें
- ग्राहक के पास खरीदी गयी वस्तु/उत्पाद का पक्का बिल हो या वारंटी कार्ड हो।
- गारंटी/वारंटी कार्ड पर विक्रेता के हस्ताक्षर तथा स्टाम्प लगा हो।
- उत्पाद पर जिस शर्तों के साथ गारंटी/वारंटी दिया गया है वह फाॅलो किया गया हो अर्थात उत्पाद क्षतिग्रस्त न हुआ हो।
- उत्पाद की गारंटी/वारंटी एक निश्चित समय के लिए ही होती है।यदि ग्राहक इस अवधि के बीत जाने के बाद उत्पाद को बदलने अथवा ठीक कराने के लिए दूकानदार के पास ले जाता है तो इसे बदलना/ठीक करना दुकानदार का दायित्व नहीं होगा।
गारंटी और वारंटी में अंतर
- वारंटी एक तय समय सीमा तक होती है लेकिन इसको कुछ अधिक भुगतान कर आगे बढाया जा सकता है, जबकि गारंटी को आगे नहीं बढाया जा सकता है।
- वारंटी में ख़राब उत्पाद को दुकानदार या कम्पनी द्वारा ठीक किया जाता है जबकि गारंटी वाले उत्पाद के खराब होने की स्थिति में दुकानदार द्वारा नया उत्पाद दिया जाता है।
- वारंटी लगभग हर उत्पाद पर मिलती है जबकि गारंटी कुछ चुनिन्दा उत्पादों पर ही मिलती है।
- वारंटी में दिया जाने वाला समय सामान्यतः अधिक होता है जबकि गारंटी कम समय के लिए दी जाती है।