Contract of Indemnity – भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 की धारा 124 के अंतर्गत वह संविदा, जिसके द्वारा एक पक्षकार दूसरे पक्षकार को स्वयं वचनदाता के आचरण से या किसी अन्य व्यक्ति के आचरण से उस दूूसरे पक्षकार को हुई हानि से बचाने का वचन देता है, “क्षतिपूर्ति की संविदा ( Contract of Indemnity ) ” कहलाती है।
क्षतिपूर्ति की संविदा में दो पक्षकार होते हैं-
- क्षतिपूर्तिकर्ता (Indemnifier)- वह जो होने वाले हानि के पूर्ति का वचन देता है।
- क्षतिपूर्तिधारी (Indemnified)- वह जिसे वचन दिया जाता है।
Case: Adamson vs. Jarvis (1827)
इस वाद में वादी एक नीलामकर्ता था। जिसने प्रतिवादी के कहने पर कुछ जानवर नीलाम किए, बाद में पता चला कि जानवर प्रतिवादी के नहीं थे। जिस व्यक्ति के जानवर थे उस व्यक्ति ने वादी पर मुकदमा करके हर्जाना वसूल लिया। फिर वादी ने प्रतिवादी पर मुकदमा करके उस क्षति की पूर्ति की जो उसे जुर्माना देने से हुई थी।
इस प्रकार से इस तथ्य से निष्कर्ष निकलता है कि एक व्यक्ति, दूसरे व्यक्ति को किसी कार्य से होने वाली क्षति की पूर्ति के लिए अभिव्यक्त किया विवक्षित वचन देता है।
Case: Dugdale vs. Lovering (1875)
इस वाद में वादी को एक लावारिस ट्रक मिला जिस पर प्रतिवादी तथा के पी कंपनी दोनों अपना स्वामित्व जता रहे थे। वादी ने प्रतिवादी को ट्रक दिया तथा उससे क्षतिपूर्ति की संविदा कर ली। बाद में किस कंपनी ने ट्रकों के ऊपर अपना स्वामित्व सिद्ध कर दीया तथा वादी पर वाद दायर करके जुर्माना वसूल लिया। वादी ने प्रतिवादी पर वाद करके जो क्षति उसे हुई थी उसे उसकी पूर्ति कर ली।
वैध क्षतिपूर्ति की संविदा के आवश्यक तत्व
- Contract of Indemnity में विधिमान्य संविदा के सभी आवश्यक तत्व विद्यमान रहते हैं
(¡) दो पक्षकार
(¡¡) प्रस्थापना
(¡¡¡) स्वीकृति
(iv) स्वतंत्र सम्मति
(v) प्रतिफल आदि। - इसमें एक पक्षकार द्वारा दूसरे को कुछ हानियों से बचाने का वचन दिया जाता है।
- इसमें मुख्यतया दो पक्षकार होते हैं
(¡) क्षतिपूर्तिकर्ता (Indemnifier)
(¡¡) क्षतिपूर्तिधारी (Indemnified) - क्षतिपूर्ति की संविदा समाश्रित संविदा होती है।
- यह सदविश्वास पर आधारित होती है।
- इसमें क्षतिपूर्तिधारी वास्तविक क्षति की पूर्ति कराने का हकदार होता है न कि अनुबंधित संपूर्ण राशि पाने का।
क्षतिपूर्तिधारी के अधिकार (Rights of Indemnity Holder)
भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 की धारा 125 में क्षतिपूर्तिधारी के अधिकार को बताया गया है। धारा 125 के अनुसार क्षतिपूर्तिधारी को निम्न अधिकार दिए गए हैं-
- सभी नुकसानी – संविदा की शर्तों के अधीन कोई भी ऐसी नुकसानी जिसे देने के लिए क्षतिपूर्तिदाता अपने दायित्वाधीन बाध्य हो।
- सभी खर्चे – उस करार से संबंधित कोई वाद खर्च या अन्य युक्तियुक्त खर्च भी क्षतिपूर्तिदाता प्रदान करेगा।
- समझौते के अधीन धनराशि – संविदा से संबंधित किसी समझौते के निबन्धनों के अधीन दी गई धनराशि जो युक्तियुक्त हो।
इस प्रकार से उक्त तीन प्रकार के खर्च संबंधित या क्षति संबंधित धनराशि क्षतिपूर्तिधारी, क्षतिपूर्तिदाता से प्राप्त कर सकता है।
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