भारतीय दंड संहिता की 326a कहती है, जो कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर के किसी भाग पर या उस व्यक्ति के शरीर पर तेजाब फेकता है जिसका कि उस व्यक्ति पता होता है कि acid attack के कारण उस व्यक्ति को क्षति पहुंचेगी फिर भी वह तेजाब फेकता है, तेजाब के पड़ने से शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की विकलांगता हो सकती है, तेजाब पड़ने के कारण शारीरिक कुरूपता, भद्दापन और बदसूरत भी दिख सकते हैं, स्थाई या फिर आंशिक रूप से शारीरिक क्षति भी हो सकती है या फिर दूसरी तरह की कोई शारीरिक क्षति हो सकती है।
इसमें दंड का प्रोविजन है की तेजाब फेकने वाले दोषी व्यक्ति को 10 साल की कारावास दी जाएगी या फिर वह आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया जा सकता है और साथ ही उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। दोषी व्यक्ति द्वारा दिए जाने वाला जुर्माना पीड़िता के उपचार में लगाया जाएगा, उसका खर्चा उठाया जाएगा लेकिन इस जुर्माने का कोई भी पैसा पीड़िता को नहीं दिया जाएगा।
दूसरी धारा आती है 326b जो यह कहती है कि कोई दूसरे व्यक्ति के शरीर या फिर शरीर के किसी अंग में तेजाब फेंकने का कोशिश करता है या किसी व्यक्ति को तेजाब देता है या देने की कोशिश करता है और उसका आशय यह होता है शारीरिक अंग या किसी भाग को जला देना, किसी को शारीरिक रूप से विकलांग कर देना, स्थायी या आंशिक रूप से उसके शारीरिक क्षति पहुँचाना या फिर शारीरिक कुरूपता करना।
इसके लिए दंड का प्रोविजन है कि तेजाब फेंकने वाले दोषी व्यक्ति को 10 साल की कारावास से कम नहीं होगी और या तो आजीवन कारावास तक बढ़ाई जा सकेगी और जुर्माना दोनों लगाया जाएगा।
अपराधी प्रक्रिया संहिता की धारा 375 के तहत सभी चिकित्सालय चाहे सरकारी हो या निजी हो इन सभी हॉस्पिटल से यह अपेक्षित है कि तेजाब हमले के शिकार पीड़िता को तुरंत ही निशुल्क प्राथमिक उपचार दिया जाएगा और तेजाब हमले के पीड़िता के आने पर इस प्रकार की घटना की सूचना पुलिस को तुरंत ही दे दी जाएगी। अगर सरकारी या निजी हॉस्पिटल के द्वारा तेजाब के शिकार पीड़िता को निशुल्क में उपचार या फिर अनुपालन करने से इंकार किया जाएगा या ऐसा अनुपालन करने से मना किया जाएगा तो भारतीय दंड संहिता की धारा 166 b के तहत 1 साल तक की कारावास और जुर्माने दोनों का प्रोविजन किया गया है।