Thursday, December 26, 2024
HomeHindiथाने से जमानत कब और कैसे लिया जाता है

थाने से जमानत कब और कैसे लिया जाता है

जब किसी व्यक्ति द्वारा कोई अपराध किया जाता है तो पुलिस अधिकारी द्वारा गिरफ्तार कर न्यायलय के समक्ष पेश किया जाता है जिसके बाद न्यायलय या तो उसे जमानत दे देती है या न्यायिक हिरासत में भेज देती है। गिरफ्तार व्यक्ति को हिरासत से छूटने के लिए जमा किये गए संपत्ति को जमानत कहते है। उसे ही आमभाषा में कहते है ‘जमानत पर रिहा होना’ अर्थात कुछ संपत्ति जो न्यायलय द्वारा तय किया गया हो उसे जमा कर रिहा होना। जमानत पर रिहा व्यक्ति को सुनवाई के लिए नियमित रूप से बुलाये गए तारीख को न्यायलय में पेश होना होता है अथवा न्यायलय द्वारा जमानत जब्त कर ली जाती है और पुनः गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया जाता है।

जमानत दो तरीके से लिया जा सकता है, पहला थाने से जिसे Police Bail कहते है तथा दूसरा कोर्ट द्वारा। थाना से लिया जाने वाला जमानत उस अपराध में मिलता है जो जमानती हो अर्थात जो Cr.P.C के धारा 436 के अनुसार bailable nature का हो, जिसमें तीन साल से कम की सजा का प्रावधान हो उसमे पुलिस स्टेशन से जमानत हो जाती है।

Cr.P.C की धारा 169 के अंतर्गत यदि पुलिस अधिकारी को पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिलते है तो आरोपी को bail bond भरवाकर जमानत दे दी जाती है। थाने से जमानत कुछ शर्तो पर दी जाती है जैसे – कोर्ट द्वारा बुलाये जाने पर हाजिर होना, पूछताछ में मदद करना, शिकायतकर्ता को किसी प्रकार से परेशान न करना या धमकी न देना, गवाह या सबूत को प्रभावित न करना आदि।

पुलिस द्वारा दिया गया जमानत पुलिस द्वारा दिया गया जमानत तबतक वैध होता है जबतक की चार्जशीट दायर न हो जाती, चार्जशीट दायर होने के बाद न्यायालय से पुनः जमानत लेनी होती है। 

थाने से जमानत लेने के बाद जब पुलिस अधिकारी द्वारा चार्जशीट दायर किया जाता है तो आरोपी को थाना अथवा कोर्ट द्वारा नोटिस भेजा जाता है और हाजिर होने के लिए date दिया जाता है। दिए गए date पर आरोपी को हाजिर होना होता है।

जमानती अपराध में कोर्ट द्वारा जमानत 

यदि किसी व्यक्ति को जमानती अपराध में गिरफ्तार किया जाता है और न्यायलय में पेश किया जाता है तो जमानत लेने के लिए सिर्फ यह कहना ही पर्याप्त होगा की उसपर लगाए गए आरोप जमानतीय है तथा आरोपी जमानत पर रिहा होने का कानूनी हकदार है। आरोपी jamanat के शर्तो को पूरा करके जमानत ले सकता है।

जमानत को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

माननीय सर्वोच्च न्यायलय के न्यायमूर्ति आर. वी. रवीन्द्रन और न्यायमूर्ति जे. एम. पांचाल की खंडपीठ ने सन 2009 में श्री रसिकलाल द्वारा दायर एक अपील की सुनवाई के बाद अपने निर्णय में कहा की जमानती धाराओं में गिरफ्तार व्यक्ति द्वारा जमानत की शर्तो को पूरा करने पर जमानत दी जानी चाहिए।

सर्वोच्च न्यायालय ने Cr.P.C की धारा 436 का उल्लेख करते हुए कहा की यदि आरोपी जमानत के शर्तो को पूरा करता है तो जमानत पर रिहा करना ही होगा।

यह भी जानें:

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular