Fundamental Duties-
Fundamental Duties राज्य के लोगों द्वारा निभायी जाने वाली एक नैतिक जिम्मेदारी है जिसकी राज्य सभी नागरिक से अपेक्षा रखता है।
~ यद्यपि भारतीय संविधान में Fundamental Duties का उल्लेख नहीं था, लेकिन 42वें संविधान संशोधन द्वारा स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर 10 मूल कर्तव्ययों को संविधान के भाग 4 (क) और अनुुुच्छेद 51(क) में सम्मिलित किया गया।
~ सन् 2002 में 86वें संविधान संशोधन द्वारा एक और मूल कर्तव्य जोड़ा गया, जिसके अन्तर्गत प्रत्येक भारतीय नागरिक, माता-पिता/संरक्षक अपने 6 वर्ष तक के आयु वाले बच्चों को शिक्षा का अवसर प्रदान करे।
वर्तमान में 11 मूल कर्तव्यों को भारतीय संविधान में शामिल किया गया है।
- संविधान का पालन करें, तथा उसके आदर्शों, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का पालन करे।
- स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोय रखें, तथा उनका पालन करें।
- भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे।
- देश की रक्षा करे और आहान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे।
- भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग से परे हो। ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हो।
- हमारी संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिक्षण करे।
- प्राकृतिक पर्यावरण की जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी, पर्वत, वन्य जीव आदि शामिल है उनकी रक्षा करे। प्राणीमात्र के प्रति दया भाव रखे।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवता और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे।
- सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करे और उसे सुरक्षित रखे, हिंंसा से दूर रहे।
- व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों मेंं उत्कर्ष की ओर बढने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र निरन्तर प्रगति की ओर अग्रसर रहे।
- 6 से 14 वर्ष तक की उम्र के अपने बच्चों को शिक्षा का अवसर उपलब्ध कराना। यह 86वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 के तहत जोड़ा गया।
यह भी जानें : संविधान की प्रस्तावना
मूल कर्तव्यों की प्रकृति
Fundamental Duties अवादयोग्य है। अतः इसे लागू कराने के लिए कोई व्यक्ति न्यायालय में नहीं जा सकता है।
मूल कर्तव्यों की विशेषताएँ
- यह मूल भारतीय परम्परा, पौराणिक कथाओं, धर्म एवं पद्धतियों से सम्बंधित है। दूसरे शब्दों में, यह मूलतः भारतीय जीवन पद्धति के आन्तरिक कर्तव्यों का वर्गीकरण है।
- कुछ मूल अधिकार जो सभी लोगों के लिए है चाहे वे भारतीय हो या विदेशी लेकिन मूल कर्तव्य केवल भारतीय नागरिकों के लिए है न कि विदेशीयों के लिए।
- निदेशक तत्वों की तरह मूल कर्तव्य गैर न्यायोचित है। संविधान में सीधे न्यायालय के द्वारा क्रियान्वयन की व्यवस्था नहीं है, यानी मूल कर्तव्य के हनन के खिलाफ कोई कानूनी संस्तुति नहीं है। यद्यपि संसद उपर्युक्त विद्दान द्वारा इनके क्रियान्वयन के लिए स्वतंत्र है।
मूल कर्तव्यों का महत्व
- Fundamental Duties नागरिकों के प्रेरणा स्रोत है तथा नागरिकों के अनुशासन और प्रतिबद्धता को बढाता है।
- यह नागरिकों की सचेतक के रूप में कार्य करती है। नागरिकों को अपने देश, समाज और साथी नागरिकों के प्रति अपने कर्तव्यों के सम्बंध में भी जानकारी रखनी चाहिए।
- Fundamental Duties राष्ट्र विरोधी एवं समाज विरोधी गतिविधियों के खिलाफ चेतावनी के रूप में कार्य करती है।
- मूल कर्तव्य, अदालतों को किसी विधि की संवैधानिक वैधता एवं उनके परीक्षण के सम्बंध में सहायता करता है
- Fundamental Duties विधि द्वारा लागू किया जाता है। अतः इनमें से किसी के पूर्ण न होने पर या असफल रहने पर संसद उनमें उचित दण्ड या सजा का भी प्रावधान कर सकती है।
मै अशोक कुमार जालोर राजस्थान का निवासी हूँ में एक विधि छात्र हूँ जो विभिन्न क़ानूनी जानकारी के लिए उत्सुक हूँ
आप हमारे वेबसाइट से आसान भाषा में कानून की जानकारी प्राप्त कर सकते है।
व्हाट्सएप ग्रुप जॉइन करने के लिए 7388738187 पर मैसेज करें।
Sir main bhi law ka student hun mujhe bhi vidhik Jankari chahiye….
kindly whatsapp on 7388738187